Location: Madhya Pradesh
Year: 2023
तिनका तिनका मध्यप्रदेश: लेखक: वर्तिका नन्दा
कॉलेज से घर आते समय रास्ते में मैने एक पिंजड़ा देखा, जो था तो बेहद ही खूबसूरत उसके अंदर काफी खूबसूरत चिड़ियां थी, कुछ देर बिल्कुल शांत होकर में टकटकी बांधकर उस पिंजड़े को देखती रही परंतु कुछ समय बाद मेरी नज़र उन चिड़ियों पर गई। जो बस पिंजड़े से बाहर आने की कोशिश में लगी हुई थी क्यूंकि वह खुले नीले आसमान को नापना चाहती थी।उसमें ऊंची उड़ान भरना चाहती थी, जैसे आसमान की कोई सीमा नहीं होती वैसे ही वह भी अपनी उड़ान को किसी सीमा में नहीं रखना चाहती थी।वह तो बस खुले गगन को छूना चाहती थी।
उस पिंजड़े को देखकर मेरा ध्यान जेल की ओर चला गया और में सोचने लगी कि जेलें भी इसी पिंजड़े के समान होती है। जहां पर सूरज की किरणे और चांद की चांदनी भी बिना इजाज़त के दाखिल नहीं हो सकती है। जहां दीवारें सुखडी होती हैं और सालखें मज़बूत होती हैं। जिसके अंदर बन्दी उन्ही खूबसूरत चिड़ियों केसमान होते हैं जो आसमान को छूना चाहते हैं।अपने अंदर पंख लगाकर आसमान में ऊंची उड़ान भरना चाहते हैं। लेकिन अफसोस है कि जेलों की इतनी ऊंची दीवारों ओर सालखों के अंदर से वो आसमान को देख भी नहीं सकते हैं परंतु हमे एक सवाल अपने आपसे अवश्य पूछना चाहिए कि हमें ' जेल ' शब्द सुनते ही भह का आभास क्यों होता है। क्यूं हम वहां रहने वाले अपराधियों से दूर रहना चाहते हैं। क्या वह अपराधी हम जैसे आम लोग नही हैं? हम यह क्यों नहीं सोचते के जेल में गया हुआ हर इंसान घोषित अपराधी नहीं होता है।
जेलें इतिहास लिखती हैं। हमारे देश को आजाद कराने वाले बहादुरों की आधी से ज़्यादा ज़िंदगी जेलों में ही गुजरी थी। इसी के साथ साथ हमारा ध्यान उन मासूम फूल से बच्चो की तरफ क्यों नहीं जाता है जिनका जन्म जेल में होता है और ना चाहते हुए भी उनके घर का पता जेल बन जाता है। जेल के बिना सामाज संभव नहीं है, जैले समाज का वो हिस्सा हैं जो समाज से कटा हुआ है। यहां अनगिनत सवाल जन्म लेते हैं और सलाखों के अंदर से झांकते है और अपने सवाल का जवाब मिलने का इंतजार करते हैं। यहां इंसान के सपनों से, खुवाईशों से , खुशियों से बड़ा इंतज़ार होता है।
जेलें अक्सर इतिहास लिखती हैं, परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि जेल के अंदर आया हुआ हर व्यक्ति एक अपराधी ही हो, जेल हमेशा न्याय ही नहीं करती, जेल में बहुत से लोग निर्दोष भी होते हैं तब भी सजा काट रहे होते हैं और ऐसा भी नहीं है कि जेलों के होने से समाज के अंदर से अपराध का खात्मा हो गया हो। इंसान कभी अपनी इच्छा से जेल नहीं जाना चाहता है, परंतु जेल इंसान को अपने आगोश में भर ही लेती हैं।
ऐसे ही मध्य प्रदेश की जेलें हैं जहां बंदियों ने सब कुछ खो दिया लेकिन साथ - ही - साथ बहुत कुछ पा भी लिया। जेलें समाज का वो आइना है जो इंसान को उसकी ज़िंदगी का वो सबक सिखाती है जो शायद समाज में रहकर वो कभी नहीं सीख पाता। मध्य प्रदेश की जेलें वो हीरा हैं जिन्होंने बंदियों की अंधेरी ज़िंदगी में रोशनी की लौ को जलाए रखा है और यह रोशनी की लौ एक दिन पूरा अंधेरा मिटा देगी और उस दिन बंदियों की ज़िंदगी में एक नई सुबह होगी। हमारे देश के हिर्दय प्रदेश की जेलों ने समाज की सोच में सकारात्मक बदलाव लाने का एक अनूठा प्रयास किया है और यकीनन यह हकीकत में तब्दील हुआ।
मध्य प्रदेश की जेलें आम आन्य जेलों की तरह नहीं हैं। इसके अंदर सांस ले रही तमाम ज़िंदगियां एक नए कदम को बढ़ाने का प्रयत्न कर रही हैं। यहां जो कुछ भी है सिर्फ सच है और उसके सिवा कुछ नहीं। यहां एक पीला-सा रजिस्टर है। जिसमें अपराधियों के आने का समय तो दर्ज होता है लेकिन जाने वाले समय का कॉलम खाली रहता है। जेल के अंदर बने हुए कानूनों का सख्ती से पालन किया जाता है। यहां की जेलों के अंदर हर चीज उसके अंदर रहने वाले बंदियों के हाथों से बनी हुई है, फिर चाहे वो खाना हो , खाने वाली थालियां , कुर्सी ,टेबल , मूर्तियां , लेदर के पर्स , खाने का कुछ और समान , यहां तक कि अपराधियों के आने का समय दर्ज करने वाला वो पीला रजिस्टर ही क्यूं हो । सब कुछ यहां रहने वाले अपराधियों ने ही बनाया है। जेल में घंटे की आवाज़ पर सब खाना खाने आते है , उसी की आवाज़ से अपने अपने काम करते हैं , जो जिस काम में दिलचस्पी है वो वहीं काम करता है और इस काम को करने पर अपराधियों को पैसे भी मिलते हैं। वो जेल में रहते हुए भी पैसे कमाते हैं और अपने घर में उन्हें भिजवाते हैं। इनके हाथों से बने हुए सामान को आम लोगों में भी बेच जाता है। यहां विश्राम करने का भी समय अपराधियों को दिया जाता है।
मध्य प्रदेश की जेलों में अपराधी सिर्फ काम ही नहीं करते हैं बल्कि उन्हें पढ़ाई भी कराई जाती है, कंप्यूटर ट्रेनिंग भी दी जाती है और योग के समय पर योगा भी कराई जाती है। जेलों के अंदर जो खाना बनता है वो सब्जियां भी खुद अपराधी उगाते हैं और इन सब्जियों को उगाने में को खाद की आवश्यकता होती है वो भी स्वयं अपराधी बनाते हैं। जेल के अंदर अपराधियों का मनोरंजन करने के लिए एक रेडियो भी है जिसपर रोज़ अपराधी अपने कार्यक्रम बनाते हैं और उसे सुनते हैं। जेल के अंदर जो नन्हे से फूल हैं यानि वो बच्चे ,जो कि अघोषित अपराधी हैं, उनके लिए स्कूल भी हैं।जेलों की दीवारें बहुत ऊंची और सख्त होती हैं जिनके अंदर अपराधी के सपने , ख्वाहिशें हार जाती हैं परंतु मध्य प्रदेश की जेलों ने वहां रहने वाले अपराधियों को जेल की बाहरी ज़िंदगी की ओर कदम को बढ़ाने का प्रयास किया है।
हमारे देश के
दिल मध्यप्रदेश की जेलों
ने समाज की सोच में सकारात्मक बदलाव लाने का एक अनूठा प्रयास किया है और यकीनन यह हकीकत
में तब्दील भी हुआ है। मध्य
प्रदेश की राजधानी, भोपाल की सेंट्रल
जेल के पास बनी है "भोपाल ओपन जेल" जिसका निर्माण मार्च 2019 में किया गया
था। इसमें अभी 9 बंदी रहते है जिसमें से 2 बंदी परोल पर गए हुए है । हमारे देश हिंदुस्तान
में बहुत कम ओपन जेलें है परंतु इस कदम को आगे बढ़ाने का प्रयत्न हमारी सरकार कर रही है। यह
जेलें बंदियों को बाहरी सामाज से जोड़ने का कार्य कर रहीं है। ओपन जेलों में रहने वाले बंदी बाहरी
सामाज में जाकर अपनी रोज़ी रोटी कमते हैं ओर
शाम होते होते वापस जेल में अजाते है। जेलों का एक अलग चेहरा और अलग रूप है "ओपन
जलें" । यह जेलें अपने आप में एक अनूठी पहल है। ओपन जेलें बंदियों के परिवार को
अपने साथ रखने की सविधा देती है। भोपाल की ओपन जेल में रहने वाले बंदी 14 साल जेल के
अंदर गुजर चुके है परंतु जब यह बंदी ओपन जेल में आए तब से इनकी ज़िंदगी का एक नया अध्याय
प्रारम्भ हुआ। ओपन जेलों को समझने के लिए इनको देखना ओर इनके अंदर रहने वाले बंदियों
से बात करना आवश्यक है।
ओपन जेलों का प्रयास जेलों को
तरक्की की ओर एक नया कदम है परन्तु इस समय पूरा देश वैश्विक महामारी से लड़ रहा है।जिसके चलते हुए पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति बन गई है लेकिन लॉकडाउन की स्थिति में भी जेलें
अपना सरा काम पहले की तरह ही कर रहीं हैं। लॉकडाउन ने गरीब मजदूरों के सामने एक
बड़ी समस्या लाकर खड़ी कर दी है। ओपन जेल में रह रहे बंदी रोजाना मजदूरी करके अपने
परिवार का पालन – पोषण करते हैं लेकिन लॉकडाउन में इनके सामने परिवार पालने का संकट आ खड़ा हुआ
है। इनके सामने राशन की समस्या आ खड़ी हुई है। जेल में रहने के कारण कॉरोना वायरस
ने इनके सामने परिवार पालने का संकटखड़ा कर दिया है और यह मजदूरी पर नहीं जा
पा रहे है परन्तु देश के दिल मध्यप्रदेश की जेलों ने जेल के डरावने अस्तित्व को बदलने की बखूबी कोशिश की है।
- मेहविश राशिद
(पॉलिटिकल
साइंस विभाग)
लेडी श्री
राम कॉलेज फॉर वूमेन
दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
Website Link: Tinka Tinka Madhya Pradesh – Tinka Tinka Prison Reforms
1 comment:
ज़िंदगी कितनी तेज़ी से आगे बढ़ती जारी है। हमारे अस पास के तमाम लोग अपने कार्यों को करने में लगे रहते हैं। किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है । आज ही सुबह जब में घर से बाहर निकली तो मैने देखा कि सभी लोग काफी जल्दी में होते हैं परंतु तभी एक दम से " लाल बत्ती" हो गई और सारी गाड़ियों को रुकना पड़ा लेकिन उसके से भी कुछ लोग ऐसे थे जो अपनी मंज़िल पर काफी जल्दी पहुंचना चाहते थे। अपने देखा होगा हमारे आस पास जो समाज है उसे सिर्फ अपने आपसे मतलब होता है। मुझे बहुत दुख होता यह सोचकर की हम ऐसे समाज में रहते हैं जहां लोग कभी गलती से भी उन लोगो की कल्पना नहीं करते हैं। जो हमारे समाज से बहुत दूर कहीं जेल में एक गुमनामी की जिंदगी गुजारने पर मजबुर हैं। इन लोगों में महिलाएं हैं और कुछ बच्चे भी शामिल हैं। जो हमारे देश की करीब 1500 जेलों में कैद हैं। जिनका आसमान बहुत छोटा सा बस उतना ही है जो उनके बैरक से दिखता हैं। ऐसे ही लोगों का हाथ थामा " तिनका तिनका फाउंडेशन" ने। यह हमारे देश की जेलों की ओर एक अनूठी पहल है। जिसने समाज से जेल के अंदर रहने वाले बंदियों को जीने का मकसद दिया और उनको भी सपने देखने का हक दिया। तिनका तिनका एक जेल सुधारक संस्था है। जिसका सफर वर्तिका नंदा ने आरंभ किया अपनी पहली प्रकाशित हुई किताब "तिनका तिनका तिहाड़" से। जिसको बाद में " लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स" में भी समल्लित किया गया। इसके बाद आई "तिनका तिनका डासना"। जो गाज़ियाबाद की एक जेल है। यहां बात m कहानी है और कहानियों में सच। यहां जो देखा गया वहीं इस किताब में कहानियों में सच। यहां जो देखा गया वहीं इस किताब में लिखा गया। तिहाड़ के बाद देश की सबसे चर्चित जेल डासना जेल ही है। इसके बाद तिनका तिनका ने अपना रुख हमारे देश की हिर्दय में बनी यानी मध्य प्रदेश में बनी जेलों की ओर किया। भोपाल की ओपन जेल अपनी अनूठी पहल के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां के बंदी रोज़ बाहर जाते हैं काम करते हैं और संध्या होते ही वापस जेल यानी अपने घर लौट आते हैं। इस पहल का मकसद बंदियों को समाज से जोड़ना है। तिनका तिनका का उद्देश्य जेल के अंदर रहने वाले लोगों को समाज का आइना दिखाना हैं और उन्हें उनकी उड़ान और सपने की ओर सौंपना है । तिनका तिनका चाहते हैं कि जेलों के अंदर सुबह सुनहरी हो ओर रातें बेखौफ। तिनका तिनका का सफर चलता आ रहा है और ऐसे ही उसमे तिनके जुड़ते आ रहे हैं।
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