तिनका तिनका जेल रेडियो और किस्सा खाकी का- यह दोनों ही पॉडकास्ट भारत के अनूठे और नवीन पॉडकास्ट हैं। इन दोनों की सफलता की कुंजी इनके नएपन, सकारात्मकता और गतिमयता में है। कहानियां लोगों को जोड़ने का काम करती हैं। अपनी बनावट और बुनावट के अनूठे अंदाज से यह पॉडकास्ट पुलिस और जेल जैसे सख्त और क्रूर माने जाने वाले महकमों में नरम अहसास भऱ रहे है। कंटेट खालिस हो तो वो हौले-हौले अपनी जगह बनाने की आश्वस्ति देता ही है लेकिन समाज जिस आसानी से बाजारी प्रचार से मिली खबरों को पलकों पर बिठाता है, वैसा उन कहानियों के साथ नहीं होता जिनमें संवेदना का भाव प्रमुख होता है। दुनिया शायद ऐसे ही चलती है। संचार की बाढ़ और बाजार के मसालेदार सामान को पाने के दबाव के बीच में जमीन से आती आवाजें हौले सुनाई देती हैं। वैसे भी अच्छाई के कदम हमेशा छोटे होते हैं और यात्रा लंबी। बतौर किस्सागो इन दोनों पॉडकास्ट को अवैतनिक तौर पर करते हुए मैं खुद गहरे अनुभवों से समृद्ध हुई हूं।
बहरहाल, समय की गुल्लक में ऐसी कहानियों का जमा होना तिनका भर उम्मीद को बड़ा विस्तार तो देता ही है। इन कहानियों पर अगर शोध हो और परिचर्चाएं तो शायद सच्ची-सुच्ची कहानियों का माहौल भी बनने लगे। लेकिन बाजार को शायद मसाला ज्यादा भाता है। ईमानदार कोशिशें सफलता की लंबी छलांगें भरा नहीं करतीं। वे रेगिस्तान में पानी के उस तालाब की तरह होती हैं जो देर से दिखाई देती हैं।
(डॉ. वर्तिका नन्दा भारत की स्थापित जेल सुधारक और मीडिया शिक्षक। उनकी स्थापित तिनका तिनका फाउंडेशन ने देश की जेलों पर पहले और इकलौते पॉडकास्ट-तिनका तिनका जेल रेडियो की शुरुआत की। जिला जेल,
आगरा, हरियाणा और उत्तराखंड की जेलों में रेडियो लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। उन्होंने भारत की जेलों में पत्रकारिता की नींव रखी है। 2014 में भारत के राष्ट्रपति से स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित। 2018 में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने जेलों पर उनकी सलाहें शामिल कीं। जेलों का उनका काम दो बार लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में शामिल हुआ। जेलों पर तीन किताबों की लेखिका। email:
tinkatinkaorg@gmail.com)
Website: Print Media – Vartika Nanda
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