153वीं वेबीनार : दिनांक: 13 फरवरी, 2025
Link: https://youtu.be/rO6gqbH2S3s:
मीडिया त्रैमासिक कम्युनिकेशन टुडे और दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान भारती विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में वेबीनार शृंखला की 153वीं कड़ी में विश्व रेडियो दिवस मनाया गया।
मुख्य वक्ताओं के विचार
राजीव कुमार शुक्ला
आकाशवाणी के अपर महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त साहित्यकार एवं मीडियाकर्मी राजीव कुमार शुक्ला ने रेडियो के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए भारत की साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं को समृद्ध करने में आकाशवाणी की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने रेडियो को सूचना, शिक्षा और मनोरंजन का एक सशक्त माध्यम बताया।
डॉ. वर्तिका नंदा
जेल सुधारक, मीडिया कर्मी तथा लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली में पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. वर्तिका नंदा ने हाल ही में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा प्रकाशित अपनी पुस्तक "रेडियो इन प्रिज़न" पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि उनके संगठन "तिनका तिनका" ने पिछले एक दशक में देश के प्रमुख जेलों में कैदियों को मुख्यधारा से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।
जेलों में रेडियो प्रसारण की महत्ता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि कैदियों ने माइक्रोफोन की ताकत को पहचाना है, इन कार्यक्रमों से उनके जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। Buy Radio in Prison Towards New-Age Reform Book Online at Low Prices in India | Radio in Prison Towards New-Age Reform Reviews & Ratings - Amazon.in
डॉ. प्रियंका कटारिया
गुरुग्राम यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रियंका कटारिया ने आकाशवाणी में एंकर के रूप में अपने दो दशक के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि आज भी युवा वर्ग रेडियो से गहराई से जुड़ा हुआ है और वे इसके कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भागीदारी के लिए उत्सुक रहते हैं।
प्रो. संजीव भानावत
कम्युनिकेशन टुडे के संपादक और राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र के पूर्व अध्यक्ष प्रो. संजीव भानावत ने बताया कि यूनेस्को के आह्वान पर 2012 से विश्व रेडियो दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई। उन्होंने रेडियो को आम आदमी के जीवन का अनिवार्य हिस्सा बताया और कहा कि रेडियो का प्रभाव आज भी व्यापक रूप से महसूस किया जाता है।
कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत शहीद मंगल पांडेय पीजी गर्ल्स कॉलेज, मेरठ में अंग्रेज़ी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ऊषा साहनी द्वारा सरस्वती वंदना से हुई। उन्होंने वेबीनार के आयोजन की पृष्ठभूमि पर विस्तार से प्रकाश डाला। भारती विद्यापीठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की सहायक प्रोफेसर प्रियंका सिंह ने मुख्य वक्ताओं को ई-बुके भेंट किया । साथ ही, वक्ताओं को ई-सर्टिफिकेट और ई-स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।
सहयोग और योगदान
इस आयोजन को सफल बनाने में भारती विद्यापीठ के शिक्षकों पुष्पेंद्र सिंह, प्रीति सिंह, जयंत राठी, डॉ. सुनील कुमार और अंबुश का विशेष योगदान रहा। इसके अलावा, आईआईएमटी यूनिवर्सिटी, मेरठ की डॉ. पृथ्वी सेंगर ने भी इस प्रयास में सहयोग दिया। आपका सहयोग अपेक्षित है इस विचारशील पहल को और प्रभावशाली बनाने में आपका समर्थन आवश्यक है। कृपया:
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