रेप पीड़ितों की निजता का उल्लंघन करने का मामला, HC का दिल्ली सरकार को नोटिस
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार, सोशल मीडिया संगठनों और विभिन्न मीडिया को नोटिस जारी किया है. उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है जिन्होंने बलात्कार पीड़ितों की निजता के अधिकार का उल्लंघन किया है. बलात्कार पीड़ितों की संदर्भ पहचान के साथ उनके द्वारा प्रकाशित किसी भी जानकारी को लेने या वापस लेने के लिए. हाईकोर्ट के इस निर्णय को लेकर सुनिए लोगों ने क्या कहा.
'स्वागत योग्य है फैसला'
दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अमृता धवन ने कहा कि जैसा हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान सामने आया है,
जो रेप विक्टिम है उनके और उनकी आईडेंटिटी को हमें प्रिजर्व करके रखना चाहिए.
कई ऐसे संगठन है या न्यूज़ चैनल टीआरपी के दौर में अपनी नैतिक जिम्मेदारी को भूल जाते हैं.
इस बात को हमे सेंसटिव तरीके से देखना चाहिए की जो रेप विक्टिम है,
हमें उनकी आईडेंटिटी रिवील नहीं करनी चाहिए.
जब रेप पीड़िता का नाम उजागर होता है,
तो उसके बहुत से परिणाम उसे भुगतने पड़ते हैं.
इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़िता के नाम उजागर ना हो.
'हो कठोर करवाई'
दिल्ली भाजपा कार्यकारिणी की सदस्य टीना शर्मा ने कहां की रेप पीड़िता का नाम उजागर करना अपने आप में संवैधानिक अपराध है. कोर्ट की टिप्पणी है जिसमें उन्होंने सभी संगठनों को यह निर्देश दिया है कि सोशल मीडिया पर जो भी इस तरह के कंटेंट हैं चाहे वह सोशल मीडिया ग्रुप हो या किसी न्यूज़ चैनल की कोई खबर जिससे वे पीड़िता की पहचान उजागर होती है हटाया जाए, यह फैसला स्वागत योग्य है.
'स्वागत योग्य है फैसला'
मीडिया विशेषज्ञ वर्तिका नंदा ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय का हम स्वागत करते हैं.
जब हम पत्रकारिता के बच्चों को पढ़ाते हैं,
तो उन्हें शुरुआत में ही इस बात की जानकारी देनी जरूरी है कि किसी रेप पीड़िता का नाम उजागर ना किया जाए.
स्मार्ट जर्नलिज्म और सेंसिटिव जर्नलिज्म अलग-अलग हो सकते हैं.
कई बार पत्रकारों ने खुलकर रेप विक्टिम का नाम उजागर किया है.
'10 हजार मामले निजता का उल्लंघन'
वर्तिका नंदा ने कहा हर साल लगभग
10 हजार ऐसे मामले दर्ज होते हैं,
जिनमें औरतों की निजता का उल्लंघन होता है.
दर्ज होने वाले मामले और हकीकत में होने वाले मामलों के आंकड़ों में एक बड़ा फासला है.
जहां तक मैं समझती हूं हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद हम सब में यह जानने की उत्सुकता भी जरूर रहेगी कि इसे लेकर कितने मीडिया हाउसेस और एनजीओ पर कार्रवाई होती है,
जिन्होंने रेप विक्टिम की पहचान को उजागर किया है.
'पहचान उजागर करने से अंधेरा में होगा जीवन'
ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन की उपाध्यक्ष शारदा दीक्षित ने कहा है कि किसी भी रेप पीड़िता की पहचान को उजागर करना उसके आने वाले जीवन को और अंधेरों में डालना होता है,
इसीलिए ऐसा नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होने कहा कि महिला उत्पीड़न की घटनाएं हमारे समाज में लगातार बढ़ती जा रही है और महिलाओं के प्रति होते अपराध में बहुत कम ऐसा होता है,
कि महिलाएं जीवित बच पाती हैं और उनके साथ होते अपराध के बाद उनका आगे का जीवन बिता पाना बहुत कठिन हो जाता है,
ऐसे में अगर उनकी पहचान को उजागर किया जाएगा.
तो आगे का जीवन सामान्य रूप त से नहीं बिता पाती,
क्योंकि आज भी हमारे समाज में महिलाओं के साथ कोई अपराध होता है तो हमारा समाज महिला को ही कसूरवार मानता है.
1 comment:
This is a good decision by Delhi High Court which should be welcomed and implemented. Media is one of the biggest violators of privacy and strict action should be taken against them if they are violating the privacy of victims. Rape victims have to suffer a lot for getting justice from societal pressure to victim-blaming, there have also been instances when the perpetrators have tried to scare the victims. I hope the media present news with more sensitivity and stop running after high TRPs.
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