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Media ethics and cultural dependence: Media Laws and Ethics

Sep 21, 2022

मैंने आवाज को देखा है

अतीत को समेटते हुए हुए भविष्य की खिड़की को खोलने के काम को बखूबी किया है- ब्रॉडकास्टर विजय लक्ष्मी सिन्हा की किताब – मैंने आवाज को देखा है- ने । प्रकाशन विभाग से प्रकाशित यह किताब आकाशवाणी की यात्रा को सामने रखती है जिसे आज की पीढ़ी काफी हद तक जानती तक नहीं।

1921 में शुरू हुई रेडियो की एक छोटी से यात्रा से लेकर अब तक कैसे साहित्य, समाज, संस्कृति इतिहास, राजनीति, शिक्षा सरोकार- इन सब को  समेटते हुए आकाशवाणी ने जिंदगियों को छू लिया है, उसे यह  किताब विस्तार से कहती है। इस किताब को 9 हिस्सों में बांटा गया है- आकाशवाणी, रेडियो समाचार, रेडियो साहित्य, संगीत, श्रव्य नाटक, महिला कार्यक्रम, बाल कार्यक्रम, क्रमीय कार्यक्रम और विविध भारतीय।

खास बात यह है कि विजयलक्ष्मी सिन्हा खुद बरसों आकाशवाणी का हिस्सा रहीं। उनके पास गहरे अनुभवों और संस्मरणों का संसार है। ।मीडिया के छात्रों के लिए यह किताब जरूरी है। प्रकाशन विभाग देश की एक सम्मानित और स्थापित प्रकाशन संस्था है लेकिन तब भी इस किताब को वह जगह नहीं मिल पाई जिसकी, वह असल में हकदार है।


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