Jul 13, 2024

Guru Nanak Dev University: Hindi Department: With Professor Sunil Kumar

9 July, 2024:  प्रोफेसर सुनील कुमार से कई दिनों पहले फ़ोन पर बात हुई थी. फिर अचानक अमृतसर जाने का कार्यक्रम बना तो गुरुनानक देव विश्वविद्यालय जाने के लोभ से खुद को रोक न सकूं. लोभ की दो वजहें थीं। 2014 के आस-पास इस विश्वविद्यालय की एक शोधार्थी ने मेरी कविताओं पर एम.फिल की थी और दूसरे यह जमीन पंजाब की है जिसका मुझ पर आजीवन ऋण रहेगा। आज जो भी हूं, उसकी सांस में पंजाब है, खासतौर से जालंधर दूरदर्सन जहां बचपन में टेलीविजन की मेरी यात्रा शुरू हुई थी। यह बात कभी औऱ।

तो बात विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग और प्रोफेसर सुनील कुमार की हो रही थी। हरियाली से भरपूर विश्वविद्यालय से होते हुए उनके कमरे में पहुंची और पहला अनुभव सुकून का हुआ। उनका कमरा बेहद सुंदर और सुरुचिपूर्ण हैl जहां वो बैठे हैं, उनके पीछे गुरुनानक देव की तस्वीर है। दाहिने तरफ मुंशी प्रेमचंद, निराला और महादेवी वर्मा की तस्वीऱें और बाहिने तरफ श्री हरमिंदर साहब की तस्वीर। किसी नेता की तस्वीर यहां पर नहीं है. यहाँ अध्याम और साहित्य का डेरा है.  

मुझे बताया कि NAAC की रिपोर्ट में इस यूनिवर्सिटी को पहला दर्जा मिला है। जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा था तो इस विभाग के छात्रों ने 75 साहित्यकारों पर खामोशी से काम किया। शोध छात्रों को अलग-अलग विधाओं के विषय दिए जाते है। कभी नाटक तो कभी संस्मरण। ऐसा इसलिए ताकि शोध का सारा काम कहानियाँ और उपन्यास तक सिमट कर ना रह जाए। जब कोई शिक्षक दूरदर्शी होता है और जब उसे नएपन को लाने की आजादी मिलती है तो वह अपने विभाग को कितनी ऊर्जा दे सकता है, इसको समझने के लिए प्रोफेसर सुनील से मिलना जरूरी था

उनके कमरे में उनके शोधार्थियों से बात करने का विशेष अवसर मिला। पंजाब के अलग-अलग इलाकों से आये यह छात्र सवालों से भरे थे। इनकी कई जिज्ञासाएं थीं। शोध के लिए चुने गए इनके विषय मन को लुभाते हैं। बड़ा दिलचस्‍प था यह देखना कि कई लेखकों के जो नाम मैंने बहुत सालों से नहीं सुने थे, उन कई नामों की चर्चा यहां पर हुई. पंजाब का आतंकवाद और पंजाब के डर के बाद के सालों में पंजाब की नशे से जुड़ी हुई समस्याओं की तस्वीरें तो बनती रहीं लेकिन पंजाब की हिम्मत और पंजाब की कर्मशीलता को बहुत कम लोगों ने बड़े फलक पर दिखाया है। पंजाब कर्म की भूमि है, धर्म की भूमि है और कभी ना हारने वाले लोगों की भूमि है l








ऐसा लगता है कि कभी ऐसा कोई मौका आए तो इस विद्यालय के साथ जुड़कर अपनी जड़ों को सींचने का एक प्रयास जरूर करना चाहिए. 

हां, यह भी जोड़ दूं कि प्रोफेसर सुनील की सादगी, बड़प्पन और जबरदस्त याददाश्त ने भी खूब प्रभावित किया। ऐसे अध्यापकों की मौजूगी से यह विश्वास पुख्ता होता है कि शिक्षण की परंपरा की गरिमा और प्रतिष्ठा कायम है। 

इस संपर्क की सूत्र हमारी साथी सारिका हैं। शुक्रिया सारिका। 

Website Link:  Seminars & Talks – Vartika Nanda

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