Jul 22, 2024

VN Ki Paathshala: वर्तिका नन्दा की कविताएं

4 July, 2024
Title: सत्संग  (Haathras)

सत्संग यानी सत संगति का संग
मन के संग
आस्था के संग
मन की शांति के लिए क्या जरूरी है 
भीड़ बनकर
शांति के कुछ टुकड़े पाने की कोशिश करना
असल में जहां तलाश खत्म होती है
मन का शोर शांत और होता है सच का साथ
वही है - सत्संग

वर्तिका नन्दा


5 July, 2024 
बेपरवाह

हम देखते रहते हैं
झूलता हुआ बरगद का कोई पुराना पेड़ 
पर नहीं रोकते उसे गिरने से  
हम इंतजार करते हैं कि 
पुल पूरी लापरवाही से बने
बनाने के लिए मिलने वाला पैसा 
समय पर तिजोरी में आये
पर पुल पक्का हो, 
इसके लिए रहते हैं बेपरवाह
हम इंतजार करते हैं कि 
सड़क के किनारे नाले-परनाले गंदगी से भरते रहें और हम 
उन्हें छोटा काम समझते रहें
हम सोचें सिर्फ अपना स्वार्थ। 
फिर एक दिन कहीं कोई पेड़ गिर जाता है
कही कोई पुल बह जाता है ं
कोई पुलिया टूट जाती है
सड़क बह जाती है
आस्था के मेले में कई लोग मर जाते हैं 
तब हम सारी बात उड़ेल देते हैं 
बरगद, बारिश या किसी बाबा पर 
लापरवाही और बहाने अपनी दोस्ती निभाते हैं ताउम्र।
           वर्तिका नन्दा








 20 July, 2024 

सजदे में जो हाथ उठे थे

उन पर अब बड़ी जिम्मेदारी है

मैेंने दोनों हाथों से एक घेरा बनाया है

सच की लौ है

इसकी पहरेदारी जरूरी है

~वर्तिका नन्दा


20 July, 2024 

हर प्रार्थना कुबूल नहीं होती

कुछ आसमान तक पहुंचने से पहले

हवा का गोला बन जाती हैं

कभी बरसात में गुम हो जाती हैं

कभी कोहरे में ओझिल

लेकिन इससे प्रार्थना की नमी 

कम नही होती

~वर्तिका नन्दा


21 July 2024
औरत चुप्पी को रोज आटे में गूंथ कर
अंदर निगल लेती है
सुलगती है, कटती है, सहती है
और चुप्पी के साथ बहती है
 
चुप्पी इतिहास की इज्जत
वर्तमान के षड्यंत्रों के चक्रव्यूह
और भविष्य की संभावित उतरनों के बलात्कार को
रोके रखती है
 
देश और घर
इसी चुप्पी के भरोसे
भरते हैं

सांस।।।।।।

2 august, 2024
उधार की रौशनी
 
बरसों की मेहनत
और फिर एक चमकती सफलता
फिर उभर आती है
उस चमक के उत्सव में जश्न मनाती भीड़
उस भीड़ का संघर्ष के रास्ते से कोई सरोकार नहीं
संघर्ष के बाद मिली ऊंचाई ही भाती है उन्हें
यह दुनिया गजब है
यहां रास्ता नहीं, मुकाम  तय करता है
इंसान का पैमाना


5 august, 2024
कितना सुंदर होगा उस चोर का मन
जो अपने प्रिय लेखक का सामान चुराकर भी
उसे साथ न ले जा सका
जिसने माफ़ी मांगी और शर्मिंदा हुआ 
कितनी वज़नदार होगी उसकी माफ़ी, उसकी ग्लानि
स्कूल का शिक्षक
घर का मुखिया
समाज का सरदार और 
देश का नेता कैसा हो
बिल्कुल इस चोर जैसा हो … 

8 August,2024
“Someone toils for years
 to achieve something
And one day touches the zenith
With this a herd of singers emerge
And they dance in the reflected glory
This world is a strange place
It goes along with the winners
Journey doesn’t attract many
But the prize does”



17 August,2024

लड़की को न्याय मिले

इसके लिए जरूरी है उसका मरना

क्योंकि जिंदा लड़कियां

झूठ कहती है

ऐसी झूठी लड़कियां

फिर जीते जी मार दी जाती है

इसलिए न्याय की उम्मीद की पहली शर्त है

लड़की का मरना… 



29 September,2024

लड़की को न्याय मिले

इसके लिए जरूरी है उसका मरना

क्योंकि जिंदा लड़कियां

झूठ कहती है

ऐसी झूठी लड़कियां

फिर जीते जी मार दी जाती है

इसलिए न्याय की उम्मीद की पहली शर्त है

लड़की का मरना… 



10 नवंबर, 2024
अपने का जाना
कभी कभी कोई अपना
इस तरह से चला जाता है
कि उसके साथ चले जाते हैं
त्यौहार, पकवान, खुशबू, हंसी

(पिता की स्मृति में)

















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