54 साल के राजीव अपनी ड्यूटी के बाद महीने में कम से कम एक बार दिल्ली के एम्स औऱ सफदरजंग अस्पताल के बाहर इंतजार कर रहे लोगों को खाना खिलाने का काम करते हैं। इसके लिए वे अपने आसपास के परिवारों को कुछ दिन पहले सूचना देते हैं, ढाई सौ घरों से भोजन जमा करते हैं और एक दिन में कम से कम एक हजार लोगों को भोजन करवाते हैं।
इसी तरह एक हैं- संदीप शाही। उन्हें अब कई दिल्लीवाले हेल्मेट मैन कहते हैं। वे अपनी नौकरी के साथ-साथ अपने पैसों से लोगों में हल्मेट बांटते हैं ताकि लोगों में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरुकता आए।
यह इंसानियत से लबरेज कहानियां हैं। इन्हें सामने लाने का काम किया है- दिल्ली पुलिस के नए पॉडकास्ट 'किस्सा खाकी का' ने। पूरे देश के किसी भी पुलिस विभाग का यह पहला पॉडकास्ट है जो पुलिस स्टाफ और अधिकारियों के संवेदना से भरे हुए यागदान को आवाज के जरिए पिरो रहा है।
कहानियां लोगों को जोड़ने का काम करती हैं। इस बात को पुलिस ने भी समझा। इसी साल जनवरी के महीने में जब 'किस्सा खाकी का' की शुरुआत हुई, तब किसी को भी इस बात का इल्म नहीं था कि देखते ही देखते कहानियों का यह पिटारा पुलिस स्टाफ के मनोबल को इस कदर बढ़ाएगा और लोगों के दिलों में जगह बनाने लगेगा। अब तक हुए तमाम अंकों में हर बार किसी ऐसे किस्से को चुना गया जो किसी अपराध के सुलझाने या मानवीयता से जुड़ा हुआ था।
पहला किस्सा 'थान सिंह की पाठशाला' पर था। दिल्ली पुलिस के इस कर्मचारी ने कोरोना के दौरान भी लाल किले के पास गरीब बच्चों को पढ़ाने का समय निकालता था। उसकी सांसें जैसे इन बच्चों में समाई हैं।
दिल्ली पुलिस अपने सोशल मीडिया के विविध मंचों पर हर रविवार को दोपहर दो बजे एक नई कहानी रिलीज करती है। आकाशवाणी भी अब इन पॉडकास्ट को अपने मंच पर सुनाने लगा है। दिल्ली पुलिस ने अपने मुख्यालय में किस्सा खाकी का एक सेल्फा पाइंट बना दिया है ताकि स्टाफ यहां पर अपनी तस्वीरें ले सके और प्रेरित हो सके। दिल्ली पुलिस की पहली महिला जनसंपर्क अधिकारी सुमन नलवा व्यक्तिगत तौर पर इन कहानियों की चयन प्रक्रिया में जुटती हैं। इन किस्सों की स्क्रिप्ट औऱ आवाज मेरी है। इन कहानियों को स्वैच्छिक सुनाया जाता है, बिना किसी आर्थिक सहयोग लिए।
आवाज की उम्र चेहरे की उम्र से ज्यादा लंबी होती है। तिनका तिनका जेल रेडियो जेलों की आवाजों को आगे लाने का काम एक लंबे समय से कर रहा है। तिनका तिनका जेल रेडियो और किस्सा खाकी का- यह दोनों ही पॉडकास्ट भारत के अनूठे और नवीन पॉडकास्ट हैं। इन दोनों की सफलता की कुंजी इनके नएपन, सकारात्मकता और गतिमयता में है। कंटेट खालिस हो तो वो हौले-हौले अपनी जगह बनाने की आश्वस्ति देता ही है। यही वजह है कि शॉट्स की भीड़ और मसालेदार खबरों के शोर में इंसानियत की आवाजें उठने लगी हैं। आवाजों की यह कोशिशें इस अंधेरे संसार में दीया बन रही हैं।
लेकिन यह मानना होगा कि जिस तेजी से झूठ वायरल होता है, मनोरंजन और मसाला बिकता है, उतने ही धीमे ढंग से जिंदगी की नर्माहट स्वीकारी जाती है। जेल और पुलिस- दोनों का परिचय अंधेरे से है। दोनों के साथ पारंपरिक तौर से नकारात्मकता की छवियां जुड़ी हैं। अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही इन क्रूर छवियों को तोड़ना चुनौती है। दूसरे, समाज जिस आसानी से बाजारी प्रचार से मिली खबरों को पलकों में बिठाता है, वैसा उन कहानियों के साथ नहीं होता जिनसे सिर्फ संवेदना जुड़ी होती है। दुनिया शायद ऐसे ही चलती है। बहरहाल, समय की गुल्लक में ऐसी कहानियों का जमा होना तिनका भर उम्मीद को बड़ा विस्तार तो देता ही है।
(वर्तिका नन्दा जेल सुधारक हैं। जेल और अपराध बीट पर विशेषज्ञता है। दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख)
2 comments:
Delhi Police wants to bring its unheard stories in front of the people of delhi through its new and unique initiative of "Kissa Khaki Ka".Delhi police also succeeding in it. We all salute such thinking of Delhi Police.Where on the one hand, delhi police is engaged in improving the society like a social reformer and trying their best to reducing crime from delhi and on the other hand, they are also working for the progress of the society and development of the country.I hope that through "Kissa Khaki Ka" delhi police will be successful in conveying their ideas to the public and what we have never thought for delhi police before now this initiative will force us to think about the all commendable jobs done by Delhi police. The Delhi Police's initiative of "Kissa Khaki Ka" is really praiseworthy.
#kissakhakika #delhipolice #Vartikananda
Delhi Police wants to bring its unheard stories in front of the people of delhi through its new and unique initiative of "Kissa Khaki Ka".Delhi police also succeeding in it.We all salute such thinking of Delhi Police.Where on the one hand, delhi police is engaged in improving the society like a social reformer and trying their best to reducing crime from delhi and on the other hand, they are also working for the progress of the society and development of the country.I hope that through "Kissa Khaki Ka" delhi police will be successful in conveying their ideas to the public and what we have never thought for delhi police before now this initiative will force us to think about the all commendable jobs done by Delhi police.The Delhi Police's initiative of "Kissa Khaki Ka" is really praiseworthy.
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