सुंदरा करीब 25 साल से जेल में बंद है। वह आजीवन कारावास पर है। अपनी बड़ी बहन के साथ। सजा लंबी है। उदासी भी। शुरू के साल आंसुओं और इंतजार के नाम रहे। फिर एक दिन सुंदरा ने जेल की कोठरी में ही अपने लिए रौशनी को ढूंढ लिया। अपना दीया बनी और औरों का भी। आज प्रस्तुत है- तिनका तिनका जेल रेडियो का 49वां अंक। ऑडियो संपादन हर्ष वर्धन। जेल की सलाखों के पीछे बंद इन आवाजों को सुनना जिंदगी को समझने जैसा है।
Presenting to you the 49th episode of Tinka Tinka Jail Radio. Conceptualised, written and narrated by Vartika Nanda, these podcasts are exclusive podcasts on prisons.
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सत्य में जेल से बड़ी कोई पाठशाला नहीं। यहां हर किसी का कोई ना कोई इतिहास या परछाई होती ही है। जेले वाकई इंसान को वो सबक सिखाती है, जो दूसरी बाहरी पाठशालाओं में सीखना मानो जैसे ना मुमकिन सा हो। जेल इंसान को उसकी ज़िन्दगी में हासिल हुए सबक से रूबरू कराती है। आज बाहरी दुनिया में लोग अपने अपने घरों को दिए जलाकर रोशन कर रहे हैं । ऐसे ही "सुंदरा" जेल के अंदर एक दिए के समान है। जो जेल में कभी न छटने वाले अंधेरे को एक लौ के मानिंद रोशन किए हुए है। इसी तरह तिनका तिनका फाउंडेशन ने भी जेल के अंदर रहने वाले लोगों के दिलों में जोश- ओ- उमंग को जन्म दिया, उनकी आंखो को नए सपने ,और उनके जीवन में एक दिए के समान रोशनी फैलाई है। तिनका तिनका की यह " दिवाली " उन सारी महिलाओं के नाम है जिन्होंने अपने साहस और मेहनत से नामुमकिन चीज को मुमकिन करके दिखाया। सुंदरा उन्हीं महिलाओ में से एक है जिसने अपने कार्य से जेल के बाकी बंदियों को उनकी अंधेरी जिंदीगियों से बाहर निकल कर कुछ करने की प्रेरणा दी और जेल के अंदर अपने हौसले की मशाल से उजाला कर दिया।
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