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LANGUAGE AND PRINCIPLES OF ONLINE NEWS WRITING

Nov 29, 2008

आओ कि कर लें सियासत

तलाक़ दे रहे हो नज़रे-कहर के साथ
जवानी भी मेरी लौटा दो मेहर के साथ

कमाल अमरोही से तलाक के बाद मीना कुमारी ने अपने दर्द को इस शेर के जरिए बयान किया था। दर्द कोई भी हो, मन को बेचैन करता है। मुंबई में जो भी हुआ, उस पर सियासत का मौसम अब शुरू हुआ है। लेकिन सियासत करने वाले जिस तवे पर तंदूरी रोटी सेंक कर छप्पन भोगों के साथ खा रहे हैं, वे शायद भूल रहे हैं कि बिलों से बाहर आकर मीडिया से रूबरू होने के अब कोई मायने नहीं। क्या वे लौटा सकते हैं उन जानों को जो इस हादसे में चली गईँ?

1 comment:

पुरुषोत्तम कुमार said...

बहुत कम शब्दों में आपने सारी बातें कह दी है। वाकई जिस शेर के जरिये ये बातें कहीं हैं, वह काबिलेतारीफ है।