तिनका तिनका तिहार के १० साल पर एक संवेदनशील लेख पड़ने को मिला। अपराध और अपराधी को मीडिया कैसे लोगों के सामने पेश करता है, काफी रोचक है। सच यह है की इस भागती दुनिया मे किसिस के पास भी सच को खोजने और तह तक जाने का समय नहीं है , ऐसी मैं जो रिपोर्टिंग आती है वह लोगों के मनोरंजन के अनुरूप मसालेदार बना कर पेश की जाती है। कसूर मीडिया का नहींथकी हुई जनता जो मन बहलाने के लिए टीवी पर मसाला चाहती है। जेलों मैं कुछ बंदी बिना कसूर के भी सजा काट रहे है , ऐसे मैं उनकी मानसिक स्तिथि बिगड़ जाती है। समाज सेवी संस्थायें उनके मनोबल को बढ़ाने के लिए विभिन इनिशिएटिव लेती है। तिनका तिनका ने १० साल पहले जो कदम बंदियों के सुधार के लिए तिहार मैं उठाये वह सरहानीय है। तिहार से चल कर तिनका हरयाणा की जेलों मैं भी काफी काम कर रहा है। जेल रेडियो हरयाणा एक मिसाल बन कर दुनिया के सामने आ रहा है। ब्रुत मैं टेलीकास्ट हुई पानीपत जेल रेडियो की कहानी दुनिया भर मैं देखि गयी। यह कदम बंदियों के जीवन को सुधार देंगे। एक संस्था अकेले इतना बड़ा परिवर्तन नहीं ला सकती, ऐसे मैं सरकार का सहयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जेलें स्टेट के नियंत्रण मैं रहती है यदि स्टेट गवर्नमेंट NGOs के सहायता के लिए आगे आये तो लोगों को भी मसाला कम और प्रगति की खबरें ज्यादा मिलेंगी। सरकार यह मत भूले की यह लोग भी उनके नागरिक है और वोट देने का अधिकार रखते है।
तिनका तिनका तिहार के १० साल पर एक संवेदनशील लेख पड़ने को मिला। अपराध और अपराधी को मीडिया कैसे लोगों के सामने पेश करता है, काफी रोचक है। सच यह है की इस भागती दुनिया मे किसिस के पास भी सच को खोजने और तह तक जाने का समय नहीं है , ऐसी मैं जो रिपोर्टिंग आती है वह लोगों के मनोरंजन के अनुरूप मसालेदार बना कर पेश की जाती है। कसूर मीडिया का नहींथकी हुई जनता जो मन बहलाने के लिए टीवी पर मसाला चाहती है। जेलों मैं कुछ बंदी बिना कसूर के भी सजा काट रहे है , ऐसे मैं उनकी मानसिक स्तिथि बिगड़ जाती है। समाज सेवी संस्थायें उनके मनोबल को बढ़ाने के लिए विभिन इनिशिएटिव लेती है। तिनका तिनका ने १० साल पहले जो कदम बंदियों के सुधार के लिए तिहार मैं उठाये वह सरहानीय है। तिहार से चल कर तिनका हरयाणा की जेलों मैं भी काफी काम कर रहा है। जेल रेडियो हरयाणा एक मिसाल बन कर दुनिया के सामने आ रहा है। ब्रुत मैं टेलीकास्ट हुई पानीपत जेल रेडियो की कहानी दुनिया भर मैं देखि गयी। यह कदम बंदियों के जीवन को सुधार देंगे। एक संस्था अकेले इतना बड़ा परिवर्तन नहीं ला सकती, ऐसे मैं सरकार का सहयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जेलें स्टेट के नियंत्रण मैं रहती है यदि स्टेट गवर्नमेंट NGOs के सहायता के लिए आगे आये तो लोगों को भी मसाला कम और प्रगति की खबरें ज्यादा मिलेंगी। सरकार यह मत भूले की यह लोग भी उनके नागरिक है और वोट देने का अधिकार रखते है।
10 years of #TinkaTinkaTihar, a revolution in prison literature & music! Tinka Tinka has defied the odds & stereotypes with powerful books & songs that express the dreams & struggles of inmates, the inmates who are trapped behind the bars of misfortune. Tinka Tinka Tihar, celebrates those lives and is a ray of hope for the inmates who are now heard, valued and respected. This journey has inspired us to see them as humans & not just as criminals.
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तिनका तिनका तिहार के १० साल पर एक संवेदनशील लेख पड़ने को मिला। अपराध और अपराधी को मीडिया कैसे लोगों के सामने पेश करता है, काफी रोचक है। सच यह है की इस भागती दुनिया मे किसिस के पास भी सच को खोजने और तह तक जाने का समय नहीं है , ऐसी मैं जो रिपोर्टिंग आती है वह लोगों के मनोरंजन के अनुरूप मसालेदार बना कर पेश की जाती है। कसूर मीडिया का नहींथकी हुई जनता जो मन बहलाने के लिए टीवी पर मसाला चाहती है। जेलों मैं कुछ बंदी बिना कसूर के भी सजा काट रहे है , ऐसे मैं उनकी मानसिक स्तिथि बिगड़ जाती है। समाज सेवी संस्थायें उनके मनोबल को बढ़ाने के लिए विभिन इनिशिएटिव लेती है। तिनका तिनका ने १० साल पहले जो कदम बंदियों के सुधार के लिए तिहार मैं उठाये वह सरहानीय है। तिहार से चल कर तिनका हरयाणा की जेलों मैं भी काफी काम कर रहा है। जेल रेडियो हरयाणा एक मिसाल बन कर दुनिया के सामने आ रहा है। ब्रुत मैं टेलीकास्ट हुई पानीपत जेल रेडियो की कहानी दुनिया भर मैं देखि गयी। यह कदम बंदियों के जीवन को सुधार देंगे।
एक संस्था अकेले इतना बड़ा परिवर्तन नहीं ला सकती, ऐसे मैं सरकार का सहयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जेलें स्टेट के नियंत्रण मैं रहती है यदि स्टेट गवर्नमेंट NGOs के सहायता के लिए आगे आये तो लोगों को भी मसाला कम और प्रगति की खबरें ज्यादा मिलेंगी। सरकार यह मत भूले की यह लोग भी उनके नागरिक है और वोट देने का अधिकार रखते है।
तिनका तिनका तिहार के १० साल पर एक संवेदनशील लेख पड़ने को मिला। अपराध और अपराधी को मीडिया कैसे लोगों के सामने पेश करता है, काफी रोचक है। सच यह है की इस भागती दुनिया मे किसिस के पास भी सच को खोजने और तह तक जाने का समय नहीं है , ऐसी मैं जो रिपोर्टिंग आती है वह लोगों के मनोरंजन के अनुरूप मसालेदार बना कर पेश की जाती है। कसूर मीडिया का नहींथकी हुई जनता जो मन बहलाने के लिए टीवी पर मसाला चाहती है। जेलों मैं कुछ बंदी बिना कसूर के भी सजा काट रहे है , ऐसे मैं उनकी मानसिक स्तिथि बिगड़ जाती है। समाज सेवी संस्थायें उनके मनोबल को बढ़ाने के लिए विभिन इनिशिएटिव लेती है। तिनका तिनका ने १० साल पहले जो कदम बंदियों के सुधार के लिए तिहार मैं उठाये वह सरहानीय है। तिहार से चल कर तिनका हरयाणा की जेलों मैं भी काफी काम कर रहा है। जेल रेडियो हरयाणा एक मिसाल बन कर दुनिया के सामने आ रहा है। ब्रुत मैं टेलीकास्ट हुई पानीपत जेल रेडियो की कहानी दुनिया भर मैं देखि गयी। यह कदम बंदियों के जीवन को सुधार देंगे।
एक संस्था अकेले इतना बड़ा परिवर्तन नहीं ला सकती, ऐसे मैं सरकार का सहयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जेलें स्टेट के नियंत्रण मैं रहती है यदि स्टेट गवर्नमेंट NGOs के सहायता के लिए आगे आये तो लोगों को भी मसाला कम और प्रगति की खबरें ज्यादा मिलेंगी। सरकार यह मत भूले की यह लोग भी उनके नागरिक है और वोट देने का अधिकार रखते है।
10 years of #TinkaTinkaTihar, a revolution in prison literature & music! Tinka Tinka has defied the odds & stereotypes with powerful books & songs that express the dreams & struggles of inmates, the inmates who are trapped behind the bars of misfortune. Tinka Tinka Tihar, celebrates those lives and is a ray of hope for the inmates who are now heard, valued and respected. This journey has inspired us to see them as humans & not just as criminals.
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