Tinka Tinka Tihar: A unique book revolving around women inmates: Vartika Nanda & Vimla Mehra
Date & Year: 24th September 2013
Occasion: APCCA Conference
Location: Vigyan Bhavan, New Delhi
Tinka Tinka Tihar was released at Vigyan Bhavan in New Delhi, presenting the unique collection of poems written by female inmates of Tihar Jail, the largest jail in South Asia. It was released by the Home Minister Sushil Kumar Shinde, who praised the book as a document to read and understand the lives of women in jail.
नई दिल्ली में तिहाड़ जेल में बंद महिला कैदियों द्वारा लिखित कविता संग्रह तिनका-तिनका तिहाड़ का विमोचन मंगलवार को विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में हुआ।
इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, तिहाड़ जेल की डीजी और किताब की संपादक विमला मेहरा और मशहूर लेखिका वर्तिका नंदा मौजूद रहीं।
इस मौके पर गृहमंत्री ने कहा कि यह किताब जंजीरों में कैद महिलाओं को पढ़ने व समझने के लिए एक दस्तावेज के रूप में है। राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस किताब में तिहाड़ के जेल नंबर छह की दुर्लभ तस्वीरें भी शामिल की गई हैं।
इस मौके पर जेल प्रशासन की ओर से तिनका-तिनका तिहाड़ नामक एक गाना भी रिलीज किया गया। यह गाना भी इसी कविता संग्रह का भाग है जिसे जेल कैदियों ने संगीत देकर अपनी आवाज दी है।
विमला मेहरा ने कहा कि हर औरत के जीवन में एक मुकाम ऐसा आता है जब उसे तय करना होता है कि वह चुप्पी साधे या जुबान खोले।
यह कविता महिला कैदियों के ऐसे पल का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कविताओं के माध्यम से महिलाओं के मन की भावनाओं को जानने व समझने का मौका मिलेगा।
Mahila Kadiyon ne likha 'Tinka Tinka Tihar'
Amar Ujala: 29th Sep, 2013
तिहार जेल की महिला कैदियों का गीत 'तिनका तिनका तिहार' प्रकाशन समाचार में 10 अक्टूबर, 2014 में प्रकाशित हुआ, जो एक हिंदी पत्रिका है जो प्रकाशन की दुनिया को बतलाती है, जैसे किताबें, किताबों, लेखकों, कार्यक्रमों, पुरस्कारों की कहानी। पत्रिका ने इस परियोजना के बारे में एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें तिहार जेल, भारत के सबसे बड़े कारागार परिसर, की महिला कैदियों पर इसके प्रभाव को बताया, साथ ही पत्रकार और कारावास सुधारक वर्तिका नंदा, और तिहार जेल की पूर्व महानिदेशक विमला मेहरा की पहल की सराहना की, जो समाज से अनदेखी या कलंकित होने वाली इन महिलाओं को एक आवाज़ और मंच देना चाहती थीं।