Jan 28, 2016
Jan 13, 2016
Journey of Dasna
Jan 12, 2016
Tinka Tinka Dasna: Journey: Inmates Present the 3D Wall & Calendar Location: Dasna Jail, Uttar Pradesh: Year 2016
http://khabar.ibnlive.com/news/city-khabrain/tinka-tinka-ummed-from-dasna-jail-ghaziabad-441337.html
http://bhasha.ptinews.com/news/1364586_bhasha
The Promo
Location: Dasna Jail, Uttar Pradesh
Year: 2016
Website Link: Tinka Tinka Dasna – Tinka Tinka Prison Reforms
Year: 2024
Heading: आज के ही दिन आरुषि की 2008 में हुई थी हत्या, उसकी याद का एक हिस्सा डासना जेल में है कैद
Link: https://www.uptak.in/neighbouring-news/gautam-buddh-nagar/story/aarushi-talwar-was-murdered-in-noida-in-2008-a-part-of-her-memory-is-imprisoned-in-dasna-jail-of-uttar-pradesh-3004725-2024-05-15
Date: 15/05/2024
2008 Noida double murder case News: देश की राजधानी दिल्ली से कई ओर कई रास्ते जाते हैं. उनमें से एक रास्ता उत्तर प्रदेश की डासना जेल की ओर भी जाता है. यह वही डासना जेल है, जहां आरुषि तलवार की हत्या के बाद उसके मां-बाप ने सजा काटी थी. मालूम हो कि मई, 2008 की 15 और 16 तारीख की दरमियानी रात को आरुषि की हत्या हुई थी. यूं तो डासना जेल में कई कैदी बंद हुए. मगर जब आरुषि के मां-बाप यहां पहुंचे तो यह जेल चर्चा की केंद्र बन गई. आज हम आपको इस जेल की ऐसी दीवार के बारे बताएंगे, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं.
आपको बता दें कि गाजियाबाद की डासना जेल में साल 2015 के सितंबर महीने में एक दीवार पर कुछ रचनात्मक काम करने का फैसला लिया गया. फैसला यह था कि दीवार पर 3D पेंट किया जाए. इस दीवार को डासना जेल प्रशासन और जेलों के उद्धार के लिए काम करने वाले तिनका तिनका फाउंडेशन ने मिलकर बनाया. तब उस समय कारागार के बीच आंगन में जेल प्रशासन के अधिकारी, 'तिनका तिनका' की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा और करीब 90-100 बंदी जमा हुए. ये सभी पुरुष बंदी थे. उन्हें दीवार के बारे में बताया गया और कहा गया कि एक खास कॉन्सेप्ट पर काम करना है.
मालूम हो कि इससे पहले 2014 में तिहाड़ जेल की दीवार पर म्यूरल पेंटिंग बन चुकी थी. यह देश की सबसे लंबी म्यूरल पेंटिंग थी, जो तिनका तिनका तिहाड़ किताब की एक कवियत्री सीमा रघुवंशी की कविता पर आधारित थी.
विवेक स्वामी ने किया नेतृत्व और बनाई गई दीवार
इसके बाद इन 100 बंदियों में से पहले और सबसे आगे आया विवेक स्वामी नामक बंदी. विवेक जेल में आने से पहले 3D पेंटिंग करता था. यही युवा बंदी तब इस काम का लीडर बना. उसके साथ तीन और बंदी जुड़े. फिर कुछ दिनों तक कॉन्सेप्ट पर काम हुआ. तय किया गया कि 10 बिंब चुने जाएंगे जो जेल से ताल्लुक रखते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि 10 बिंबों में एक बिंब आरुषि की आंख थी. वही, आरुषि जिसकी हत्या की गुत्थी अभी भी पहेली बनी हुई है.
आरुषि की आंख के बिंब के अलावा और कौनसे बिंब थे?
आरुषि की आंख के बिंब के अलावा, बाकी अन्य बिंबों में अलग-अलग यादें थीं जैसे किसी को अपने पिता की याद आती है, किसी को मां की, किसी को बहन की, किसी को समय की बर्बादी याद आती है तो कोई खत लिखता है...ऐसी 10 चीजों को जोड़ा गया. इसके साथ-साथ दो तरफ अलग-अलग तस्वीरें बनाई गईं, जिनमें से एक पत्थर था. इस पत्थर पर डॉ. नन्दा की लिखी एक कविता का हिस्सा था. यह कविता थी, "दिन बदलेंगे यहां भी, पिघलेंगी यह सलाखें भीं. ढह जाएंगी ये दीवारें भीं, होंगी अपनी कुछ मीनारें भीं."
दूसरी तरफ एक खिड़की थी जो आसमान की तरफ खुलती थी. दरअसल, इस पेंटिंग के जरिए यह जतलाने की कोशिश की गई थी कि जेल के अंदर तमाम यादों के बीच, तमाम दुखों के बीच एक आजादी का इंतजार सबको है. और वो आजादी एक न एक दिन जरूर मिलेगी.
दीवार को लेकर डॉ. नन्दा ने दीवार को लेकर ये कहा
डॉ नन्दा ने यूपी Tak से बातचीत में कहा, "इस पेंटिंग के लिए जेल की उस दीवार को चुना गया था जो एक दम फींकी और बदरंग थी. कोई कल्पना नहीं कर सकता कि करीब चार-साढ़े चार महीने की मेहनत के बाद जो 3D पेंटिंग बनी वो देश की किसी भी एकलौती और अनूठी दीवार थी. आपको एक हैरानी की बात बताती हूं. जिस दिन यह पेंटिंग पूरी हुई, उसी दिन विवेक की रिहाई की खबर सामने आ गई.
15-16 मई की रात आरुषि के साथ क्या हुआ था?
15-16 मई 2008 की दरमियानी रात आरुषि तलवार की हत्या उसके बेडरूम में कर दी गई थी. नोएडा के जलवायु विहार के एल-32 में हुई इस हत्या का शक सबसे पहले घरेलू सहायक हेमराज पर गया, क्योंकि वह इस वारदात के बाद से लापता था. मगर एक दिन बाद ही उसकी लाश घर की छत पर मिल गई. अब बड़ा सवाल उठा कि आखिर ये डबल मर्डर किसने किया?
बता दें कि आरुषि तलवार की मां नूपुर तलवार और पिता राजेश तलवार नोएडा के जाने-माने डेंटिस्ट थे. जांच के दौरान 18 मई 2008 को पुलिस ने बताया कि हत्या सर्जिकल ब्लेड से की गई है. फिर मर्डर का शक आरुषि के माता-पिता नूपुर और राजेश पर चला गया.
23 मई 2008 को आरुषि के पिता राजेश तलवार को डबल मर्डर में गिरफ्तार कर लिया गया. फिर सरकार ने 1 जून 2008 को यह मामला सीबीआई को सौंप दिया. आरुषि और हेमराज के कत्ल में सीबीआई ने राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया. 29 दिसंबर 2010 को सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें नौकरों को क्लीन चिट दे दी. इसी के साथ सीबीआई ने आरुषि-हेमराज की हत्या का शक मां-बाप पर जताया.
क्लोजर रिपोर्ट को ही चार्जशीट मानकर मुकदमा चला. 26 नवंबर 2013 को सीबीआई कोर्ट ने नूपुर और राजेश तलवार को दोषी मानते हुए उम्रकैद सुनाई. आरुषि के मां-बाप इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे. 12 अक्टूबर 2017 को हाई कोर्ट ने मामले में तलवार दंपती को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. इसी के साथ यह रहस्य अब भी फिजाओं में तैर रहा है कि आखिर आरुषि और हेमराज की हत्या किसने की?
ऐसी कहानी जिसकी कभी चर्चा नहीं होती
जैसा कि आपको पता ही है आरुषि की हत्या का मामला अभी तक नहीं सुलझा है. आरुषि की हत्या मामला में उसके मां-बाप ने डासना जेल में काफी वक्त काटा. जेल में उनका जीवन कैसा था उसके बारे में बातचीत कम ही होती है. मगर एक सच यह भी है कि जेल में नूपुर और राजेश तलवार ने कई बंदियों के दांतों का इलाज किया. नूपुर तलवार ने डॉ. वर्तिका नन्दा की तिनका तिनका डासना किताब का हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद भी किया था. इसके अलावा उन्होंने कई कविताएं भी लिखी थीं. मगर अफसोस इसकी चर्चा उतनी नहीं हुई जितनी हो सकती थी.