अनुमान, कल्पना और सपना- जिंदगी का बड़ा हिस्सा इन्हीं पर टिका है।
इन्हें कभी कम न आंकिए। चाहे कुछ भी हो, यह तीनों हमेशा बने रहेंगे-
जेल में भी, जेल से बाहर भी।
जय-पराजय के बीच राज-राग दरबारियों की दुनिया सबसे दिलचस्प है. जो हारता होगा, वो समझता होगा कि राजदरबारी क्षणभंगुर होते हैं.
हर रोज अच्छाई को छोटा होते देखती हूं
हर रोज फिर से उठ खड़ी होती हूं.
कोरोना की कथित विदाई के बाद बहुत-से लोग अपनी सांसारिकता में लौट आए हैं। कोरोना था तो बड़े वायदे हुए थे। मन से मंत्र फूटने लगे थे। कर्म और ईश्वर का भजन होने लगा था। अब फिर गाड़ी अपराधों की पटरी पर है। इस दुनिया का आकाश बदनीयती से पटा पड़ा है। जेल भी शर्मसार है। कुछ अपराधों की सजा जेल नहीं समय देता है।
"एक जेल, जेल में। एक जेल, बाहर। एक जेल की सींखचें दिखती हैं। दूसरी की नदारद। एक जेल के बंदी अपराधी मान लिए जाते हैं। दूसरे के साफ-सफेद जिंदगी के तब तक हकदार बने रहते हैं जब तक उनका समय न आए।"
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