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Citizen Journalism

Sep 24, 2011

मरजानी - भास्कर में

24 सितंबर, 2011 को दैनिक भास्कर में छपी मरजानी की समीक्षा 

2 comments:

sumeet "satya" said...

वर्तिका जी पहले तो आप को "मरजानी" के लिए हार्दिक शुभकामनाएं.....
पुखराज जी की लिखी समीक्चा पढ़ने के बाद इस कविता संग्रह को पढने की ललक बढ़ी है....पढ़ कर ही अपना सही मत दूंगा.....
वैसे मर्जानियाँ हमारे घर-परिवार, मोहल्लों में हर जगह बिखरी पड़ी हैं...बस जरूरत है उन्हें महसूस कर ढूंढ निकालने की......

sumeet "satya" said...

वर्तिका जी पहले तो आप को "मरजानी" के लिए हार्दिक शुभकामनाएं.....
पुखराज जी की लिखी समीक्चा पढ़ने के बाद इस कविता संग्रह को पढने की ललक बढ़ी है....पढ़ कर ही अपना सही मत दूंगा.....
वैसे मर्जानियाँ हमारे घर-परिवार, मोहल्लों में हर जगह बिखरी पड़ी हैं...बस जरूरत है उन्हें महसूस कर ढूंढ निकालने की......