Mar 23, 2012

थी. हूं..रहूंगी... पटना पुस्तक मेले में 24 मार्च को विमोचन: Year 2012: Vartika Nanda

महिला अपराध पर देश का पहला कविता संग्रह -  थी. हूं..रहूंगी.

विमोचन 24 मार्च को पटना पुस्तक मेले में

विमोचनकर्ता -
सुखदा पाण्डेय, मंत्री, कला संस्कृति और युवा विभाग, बिहार
रश्मि सिंह, कार्यकारी निदेशक,  राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण मिशन, भारत सरकार

किताब का नाम – थी. हूं..रहूंगी...

कवयित्री – वर्तिका नन्दा

कवर - लाल रत्नाकर

प्रकाशक – राजकमल

मूल्य – 250 रूपए


भूमिका - किताब से 
यह पहला मौका है जब एक अपराध पत्रकार ने अपराध पर ही कविताएं लिखी हैं। एनडीटीवी में बरसों अपराध बीट की प्रमुखता और बाद में बलात्कार पर पीएचडी ने देश की इस विख्यात पत्रकार को महिला अपराध को एक अलहदा संवेदनशीलता से देखने की ताकत दी। इसलिए इन कविताओं को संवेदना के अलावा यथार्थ के चश्मे से भी देखना होगा।

वर्तिका के लिए औरत टीले पर तिनके जोड़ती और मार्मिक संगीत रचती एक गुलाबी सृष्टि है और सबसे बड़ी त्रासदी भी। वह चूल्हे पर चांद सी रोटी सेके या घुमावदार सत्ता संभाले – सबकी आंतरिक यात्राएं एक सी हैं।

इस ग्रह के हर हिस्से में औरत किसी न किसी अपराध की शिकार होती ही है। ज्यादा बड़ा अपराध घर के भीतर का जो अमूमन खबर की आंख से अछूता रहता है। यह कविताएं उसी देहरी के अंदर की कहानी सुनाती हैं। यहां मीडिया, पुलिस, कानून और समाज मूक है। वो उसके मारे जाने का इंतजार करता है और उसके बाद भी कभी-कभार ही क्रियाशील होता है।

वर्तिका की कविता की औरत थक चुकी है पर विश्वास का एक दीया अब भी टिमटिमा रहा है। दुख के विराट मरूस्थल बनाकर देते पुरूष को स्त्री का इससे बड़ा जवाब क्या होगा कि मारे जाने की तमाम कोशिशों के बावजूद वह मुस्कुरा कर कह दे - थी. हूं.. रहूंगी...।

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