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Radio in Prison: Report on the book release: 03.03.2025

Jul 27, 2025

Radio in Prison: Report on the book release: 03.03.2025

दिनांक: 03-02-2025

स्थान: विश्व पुस्तक मेला, प्रगति मैदान

आयोजक: नेशनल बुक ट्रस्ट (NBT) और तिनका तिनका फाउंडेशन

मुख्य अतिथि:

  • मिलिंद सुधाकर मराठे (अध्यक्ष, NBT)

  • कुमार विक्रम (प्रधान संपादक, NBT)

  • श्री पी.एन. पांडे (डीआईजीxxx, आगरा रेंज)

  • सुश्री महेक कस्बेकर (प्रधान संपादक एवं पत्रकार, ब्रूट इंडिया)

  • डॉ. वर्तिका नंदा (लेखिका, जेल सुधारक एवं तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक)


नेशनल बुक ट्रस्ट (NBT) और तिनका तिनका फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में "रेडियो इन प्रिजन" पुस्तक का विमोचन किया गया। यह भारत में जेल रेडियो पर लिखी गई पहली पुस्तक है, जिसे जेल सुधारक और मीडिया शिक्षिका डॉ. वर्तिका नंदा ने लिखा है। इस पुस्तक में जेलों में रेडियो की भूमिका, कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव और जेल सुधार में मीडिया के योगदान को विस्तार से बताया गया है।

कार्यक्रम में NBT अध्यक्ष मिलिंद सुधाकर मराठे, प्रधान संपादक कुमार विक्रम, आगरा रेंज के डीआईजी जेल, श्री पी.एन. पांडे, ब्रूट इंडिया की प्रधान संपादक एवं पत्रकार सुश्री महेक कस्बेकर और लेखिका डॉ. वर्तिका नंदा उपस्थित रहे। अपने स्वागत भाषण में NBT अध्यक्ष मिलिंद सुधाकर मराठे ने इस पुस्तक के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह न केवल जेलों में हो रहे सकारात्मक बदलावों को सामने लाती है, बल्कि समाज को भी इस विषय पर सोचने के लिए प्रेरित करती है।

पुस्तक विमोचन के बाद "तिनका जेल रेडियो" पर आधारित एक विशेष वीडियो प्रस्तुत किया गया, जिसमें जेल रेडियो की यात्रा और "रेडियो इन प्रिजन" पुस्तक के निर्माण की कहानी को दर्शाया गया। वीडियो की पृष्ठभूमि में डॉ. सुचित नारंग (दृष्टिबाधित कैदी, जिला जेल, देहरादून) द्वारा रचित और गाया गया एक भावनात्मक गीत बजाया गया, जिसने दर्शकों को गहरे स्तर पर प्रभावित किया।

कार्यक्रम का संचालन सुश्री महेक कस्बेकर ने किया। चर्चा के दौरान उन्होंने डॉ. वर्तिका नंदा से पूछा कि भारतीय जेलों में "तिनका जेल पत्रकारिता" की अवधारणा कितनी अनूठी है और इसका कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य एवं पुनर्वास पर क्या प्रभाव पड़ता है? इस पर डॉ. नंदा ने बताया कि जेल रेडियो एक ऐसा माध्यम बन गया है, जिसने कैदियों को संवाद करने, अपनी कहानियाँ साझा करने और अपनी रचनात्मकता को व्यक्त करने का अवसर दिया है। उन्होंने बताया कि यह पहल विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान बेहद प्रभावी साबित हुई, जब कैदी बाहरी दुनिया से कटा हुआ महसूस कर रहे थे।

डॉ. नंदा ने इस बात पर जोर दिया कि जेल रेडियो, पॉडकास्ट, जेल पुरस्कार और जेल जीवन पर लिखी गई पुस्तकों ने जेलों के अनदेखे पहलुओं को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि इस पहल के कारण जेलों में अवसाद, आक्रामकता और आत्म-नुकसान की घटनाओं में कमी आई है, क्योंकि यह कैदियों को रचनात्मक अभिव्यक्ति का मंच प्रदान करता है।

आगरा रेंज के डीआईजी JAIL श्री पी.एन. पांडे ने घोषणा की कि जल्द ही उत्तर प्रदेश की जेलों में नए जेल रेडियो स्टेशन शुरू किए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि यूपी की जेलों में पहले से ही डॉ. वर्तिका नंदा द्वारा महिला कैदियों और उनके बच्चों की संचार आवश्यकताओं पर दी गई सिफारिशों को लागू किया जा चुका है। इस शोध को ICSSR के तहत किया गया था और इसे उत्कृष्ट माना गया था। अगस्त 2024 में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, श्री मनोज कुमार सिंह और जेल महानिदेशक श्री पी.वी. रामासास्त्री द्वारा इसे जारी किया गया था।

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में लेडी श्रीराम कॉलेज (LSR) के पत्रकारिता विभाग के छात्रों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने अतिथियों के साथ संवाद किया और जेल सुधार में मीडिया की भूमिका पर विचार-विमर्श किया।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. वर्तिका नंदा ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जेल की उनकी विविध यात्राएं उन्हें स्वतंत्रता के वास्तविक महत्व को समझने का अवसर देती है—एक ऐसी चीज़ जिसे हम अक्सर हल्के में ले लेते हैं। 

चर्चा के दौरान पैनल ने दर्शकों की प्रतिक्रियाएँ भी सुनीं और इस बात पर सहमति जताई कि "रेडियो इन प्रिजन" एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो आम नागरिकों को जेल जीवन की वास्तविकताओं से जोड़ने और इस विषय पर अधिक संवेदनशील बनाने का माध्यम बन सकती है।



"रेडियो इन प्रिजन" पुस्तक का विमोचन जेल सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ है। इस कार्यक्रम ने जेलों में रेडियो की भूमिका और उसके सुधारात्मक प्रभाव को उजागर करने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया। यह स्पष्ट होता है कि मीडिया, विशेष रूप से रेडियो, कैदियों के मानसिक एवं सामाजिक पुनर्वास में एक प्रभावशाली माध्यम बन सकता है। "रेडियो इन प्रिजन" केवल एक किताब नहीं, बल्कि जेल सुधार और कैदियों के पुनर्वास की दिशा में उठाया गया एक सशक्त कदम है।

आकांक्षा चौधरी


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