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Leads in Journalism: REP Notes

Jan 1, 2012

अधूरी कविता

थके पांवों में भी होती है ताकत
देवदारों में चलते हुए
ये पांव
झाड़ियों के बीच में से राह बना लेते हैं
गर
भरोसा हो
सुबह के होने का
सांसों में हो कोई स्मृति चिन्ह
मन में संस्कार
और उम्मीदों की चिड़िया
जिंदा है अगर
तो जहाज के पंछी को
खूंटे में कौन टांग सकता है भला

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