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Writing for TV News: Class Assignment: Batch of 2027-28

May 31, 2012

चुप्पी

कमरे की खिड़कियां और रौशनदान
बंद कर दिए हैं
कुछ दिनों के लिए

हवा ताजी हो तो
हमेशा ऐसा नहीं होता

बाहर का बासीपन कमरे में आता है
तो चेहरे पर पसीने की बूंदें चिपक जाती हैं

बंद कमरे में
अलमारी के अंदर
सच के छोटे-छोटे टुकड़े
छिपा दिए हैं
लब अब भी सिले हैं

जिस दिन खिड़कियां खुलेंगीं
लब बोलेंगें
लावा फूटेगा
हवा कांप उठेगी

नहीं चाहती कांपे बाहर कुछ भी
इसलिए मुंह पर हाथ है
दिल पर पत्थर
.................

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