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Jail Radio: Ambala

Jan 15, 2009

गजब है

बात में दहशत
बे-बात में भी दहशत
कुछ हो शहर में
तो भी
कुछ न हो तो भी

चैन न दिन में
न रैन में

मौसम गुनगुनाए तो भी
बरसाए तो भी
शहनाई हो तो भी
न हो तो भी
हंसी आए मस्त तो भी
बेहंसी में भी

गजब ही है भाई
न्यूजरूम !

8 comments:

Unknown said...

sahi men gazab hai..bahut acchi kavita..

संगीता पुरी said...

गजब ही है भाई
न्यूजरूम !
बहुत अच्‍छा।

Udan Tashtari said...

यथार्थ चित्रण!! बहुत खूब!!

सुशील छौक्कर said...

क्या कहूँ सच के सिवाय कि सच है।
और हाँ 11 जनवरी को हैबिटेट में आपकी स्पीच सुन कर अच्छा लगा। आप अपनी बात बहुत ही प्रभावपूर्ण तरीके से कह जाती है। वो भी सच के साथ।

तसलीम अहमद said...

haqiqat kah di apne. achha laga.

विजय तिवारी " किसलय " said...

समाचार कक्ष के विषय में सही अभिव्यक्ति.
- विजय

kavideepakgupta said...

अछ्छी सोच और लेखन के लिये बधाई ...

कवि दीपक गुप्ता
www.kavideepakgupta.com

kavideepakgupta said...

bahut acche lekhan aur soch ke liye badhai...

kavi deepak gupta
www.kavideepakgupta.com