2010
नए स्टेडियम, नई सड़कें, नई इमारतें
धुला-धुला सा सब कुछ
टेबल के नीचे खुजलियों का मौसम।
खेल के अंदर खेल
खेल के पीछे खेल
खेल में छिपे खेल
हिस्सों के खेल
दूसरों को हिस्सा न मिले, इसके खेल
नए अकाउंट खोलने
छिपने-छिपाने के खेल
और पेड़ पर बैठी चिरैया
बस में बैठा क्लर्क
सोचता रहा
वंदेमातरम।
3 comments:
बहुत ही जोरदार अभिव्यक्ति ।
कॉमनवैल्थ गेम से संबंधित हो रहे परिवर्तनों में कटते हुए पेड़ों और बिखरते हुए घोंसलों को देखकर तो ये लगता है कि कोई चिरैया वंदेमातरम के बजाए अपने बच्चों को तलाशती फिर रही होगी। और साथ ही हम भी नेहरू स्टेडियम के पड़ोसी होने के नाते प्रभात में होने वाले कलरव को सुनने को तरस जाएंगे।
"खेल के अंदर खेल
खेल के पीछे खेल
खेल में छिपे खेल"
खेल खेल में इस खेल को खोल कर ही रख दिया. Very good, Vartika. Best.
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