वो अभी टेबल पर चार रोटी, तड़के वाली दाल, पालक-पनीर रखकर गया है,
वो कौन है....
एक आदमी
नहीं, वो है मुर्दा बनता आदमी।
वो है एक एथलीट
लाया था जब कांस्य का लट्टू
तो घोषणाएं हुईं दूरदर्शन पर
मिलेगी सरकारी नौकरी
कार
विज्ञापनों की शोहरत और
पैसा।
जो आया
वो ले गए भाई, मामा-मामी, चाचा-चाची और तीनों बेटे
सबका सब पर हक था
बाकी जो बचा था, वो कभी आया ही नहीं।
खेल होते रहे बार-बार
जीतने वाले छिटकते रहे
ढाबों में, स्टेशनों पर।
पर हर खेल में खेल मंत्री का
गोल्डन पीरियड बना रहा यूं ही।
खेल सामृध्य लाते हैं
पहले से ही समृद्ध लोगों के लिए।
जय हो।
2 comments:
तीखा व्यंग... उधर ममता दी भी लालू का गोल्डेन पिरीएड का भरता बनाने में लगी हैं... गिल साहब भी सुने जरा... या की उदघाटन में कौन सी कोट पहनेगे ये सोच रहे हैं...
Reality of India.....Sirf Ghoshnaye. aashwashan aur kuch nahi....
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