बस
अब रंगों जैसा ही हो जाना है
घुल जाना है
पानी जैसे
बह जाना है
पहाड़ जैसे
टिक जाना है
शहर जैसे
चल पड़ना है
बर्तन जैसे
बन जाना है
रिश्ते जैसे
निभ जाना है
मर्द जैसा
बेवफा होना है
सब कुछ होना आसान ही है शायद
पर औरत होना
खुद अपने जैसा होना !!!!!