Dec 6, 2019

Hindimedia.in: तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड- 5वां साल जेलों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार

मानवाधिकार दिवस पर दिए जाने वाले तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड की महत्वपूर्ण सूचना जारी की जा रही है। तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स जेलों में सृजन करने वाले बंदियों और विशेष काम कर रहे जेल अधिकारियों का सम्मान करते हैं। भारत की जानी-मानी जेल सुधारक वर्तिका नन्दा ने तिनका तिनका अवार्ड्स की परिकल्पना की है. हर साल तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स चयनित बंदियों और जेल कर्मचारियों की उपस्थिति में देश की किसी जेल में जारी किए जाते हैं. यह पुरस्कारों का पांचवा साल है।

इस साल तीन श्रेणियां रहीं- पेंटिंग, विशेष प्रतिभा और जेल प्रशासकों के लिए पुरस्कार
इस साल निर्णायक मंडल में श्री जावेद अहमद, आईपीएस, महानिदेशक, एनआईसीएफएस, श्री राम फल यादव, आईपीएस, महानिदेशक, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और वर्तिका नन्दा, संस्थापक, तिनका तिनका रहे।
इस वर्ष पेंटिंग की थीम है- जेल में रेडियो. बंदियों को इस विषय पर पेंटिंग और स्केच बनाने के लिए कहा गया था ,बावजूद इसके कि वे जिस जेल में बंद हैं, वहां रेडियो की उपलब्धता है या नहीं। इस थीम का उद्देश्य था- बंदियों की संचार की जरूरतों के प्रति जागरूकता लाना. इस प्रक्रिया में तिनका तिनका ने आगरा जिला जेल में रेडियो की शुरुआत की है. यह भारत की सबसे पुरानी जेल है. यह तिनका तिनका प्रिज़न रिफॉर्म्स का मॉडल है जो अगले कुछ महीनों में आकार ले लेगा.
इस साल पेंटिंग श्रेणी में बंदियों के कुल 144 नामांकन आए हैं. इस वर्ष अधिकतम नामांकन बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से आए, जहां से 44 कैदियों को पेंटिंग श्रेणी के लिए नामित किया गया था. वहीं उत्तर प्रदेश राज्य से इसी श्रेणी में कुल 35 नामांकन आए हैं.
इस साल भी विभिन्न आयु वर्ग के बंदियों ने तिनका तिनका के इस वार्षिक आयोजन में भाग लिया है. पेंटिंग की श्रेणी में सबसे कम उम्र के बंदियों में उत्तर प्रदेश की बांदा जेल से धीरज कोरी और छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल से सीतला हैं। दोनों की उम्र 18 वर्ष है. इस श्रेणी में सबसे उम्रदराज़ बंदी बिलासपुर जेल से 75 वर्ष की आयु के साथ भेषलाल हैं. चलने में असमर्थ होने के बावजूद भेषलाल ने 2018 में जेल में ज़िंदगी थीम पर पेंटिंग बनाई थी. इस पेंटिंग को पेंटिंग की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला था. तिनका तिनका के अनुरोध के बाद बिलासपुर जेल के तत्कालीन अधीक्षक एस.एस. तिग्गा ने जेल में एक पेंटिंग स्टूडियो बनवाया जिसमें कैदियों को उनके रचनात्मक कौशल को अभिव्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया गया.
विशेष प्रतिभा श्रेणी में 19 बंदियों के नामांकन प्राप्त हुए. यह पुरस्कार उन बंदियों को दिया जाता है जिन्होंने जेल के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव लाने का प्रयास किया है. इस श्रेणी में सबसे कम उम्र के प्रतिभागी चंडीगढ़ की जेल के 22 वर्षीय राहुल हैं। वह जेल के वेल्डिंग सेक्शन में काम करते हैं. इसी श्रेणी में चंडीगढ़ की ही जेल से सबसे उम्रदराज बंदी प्रिया स्वामी हैं और उनकी उम्र 64 वर्ष है और वह जेल के पॉलिश सेक्शन में काम करते हैं.
इस साल 28 जेल कर्मचारियों ने अपने संबंधित राज्य मुख्यालय के माध्यम से तिनका तिनका पुरस्कारों 2019 के लिए आवेदन किया था. यह श्रेणी उन जेल कर्मियों के योगदान को सम्मान देती है जो ड्यूटी के अपने नियमित काम से आगे जाकर जेल सुधार में अपना योगदान देते हैं
इस साल उत्तर प्रदेश की ज़िला जेल बांदा के 7 बंदियों द्वारा स्मृति चिह्न बनाए गए हैं. इनमें शिव प्रसाद (सीटी), लवकुश (यूटी), सिकंदर (सीटी), जानकी (यूटी), अजय (सीटी), अमित (यूटी) और अनिल (यूटी) हैं. यह पंखें जेल में डिज़ाइन किए गए हैं और इनमें एलईडी लाइट लगी हुई है. तिनका तिनका ने एक नोडल कार्यालय / जेल में बने स्मृति चिह्न प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की है जिसे पूरे भारत की जेलों में भेजा जाता है। इसका मकसद अन्य जेलों को उनके अंदर रचनात्मकता लाने के लिए प्रोत्साहित करना है.
जेल में रेडियो थीम के साथ इस साल लखनऊ की जेल में विशेष प्रकार के पेपर का बैग बनाया गया और इसका स्केच आगरा जिला जेल में बंद 26 वर्षीय उदय स्वरुप ने बनाया है.
2018 में यह समारोह जयपुर की केंद्रीय जेल और 2017 में तिहाड़ जेल, दिल्ली में हुआ था। इस साल यह समारोह लखनऊ की जिला जेल में 8 दिसंबर, 2019 को होगा। पुरस्कारों को श्री आनन्द कुमार, महानिदेशक, कारागार, उत्तर प्रदेश, श्री सुलखान सिंह, पूर्व पुलिस महानिदेशक, उतर प्रदेश और वर्तिका नन्दा, संस्थापक, तिनका तिनका देंगे।
तिनका तिनका श्रृंखला के तहत तिनका तिनका मध्यप्रदेश, तिनका तिनका डासना और तिनका तिनका तिहाड़ का प्रकाशन किया जा चुका है। यह जेल सुधार पर चर्चित पुस्तकें हैं।

1 comment:

Ananya said...

This is a great initiative by Tinka Tinka. This award will give incentive to inmates to develop their talents and creativity. The work of Dr. Vartika Nanda, the founder of the movement of prison reforms in India, is a testament to the idea that rehabilitation and not punishment is the answer. I hope new categories are also added to the awards. It is also very good to know that organizations are recognizing the hard work of prison staff and administrations. It will motivate them to do better. #awards #tinkatinka #vartikananda #prisonreforms #tinkamodelofprisonreform