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WEEKLY REPORT: Introduction to Journalism: 2025

Nov 29, 2008

शुक्र है नहीं देखा मीडिया ने

आज चुनाव हो गए हैं बाबा-बेबी लोग भी थक गए हैं रिलैक्स करने जाएंगे लंदन इतने दिन कितना कुछ तो मना था रात में तेज गाड़ी चलाना पब में अपने अनूठे अपनों के साथ ड्रिंक करना और लेना कुछ महदोश कश कहीं मीडिया देख लेता तो हार ही जाते पापा अब बाबा लोगों को चैन मिला है मुंबई की वजह से वैसे भी हैं डिस्टबर्ड इसलिए मेंटल शांति के लिए जा रहे हैं विदेश कृपया इन्हें अब अगले पांच साल तक न करें डिस्टर्ब।

2 comments:

sandeep sharma said...

बहुत अच्छा...

मुंहफट said...

वर्तिका जी आपको समाचारपत्रों में प्रायः पढ़ना और आत्मसात करना मौजूदा मीडिया की विरल संभावना लगती है. बधाई.