Featured book on Jail

Writing for TV News: Class Assignment: Batch of 2027-28

Oct 31, 2010

रियासत

इससे बेहतर                   

बल्कि बेहतरीन और कैसा बचपन होता

बचपन को सलीकेदार, हवादार, खुशबूदार बनाने के लिए

मन की फौज को रखना चाक-चौबंद

याद रखना

दोहराना

अपनी जिंदगी की राजा या रानी मैं खुद हूं

बड़ी सी प्रजा भी खुद ही

यहां सपने मेरे अपने बड़े से खेत में उगेंगे

उनकी सिंचाई का बंदोबस्त भी मेरे हाथ में

मर्जी होगी मेरी

कि कित्ते तारे देखना चाहूं आसमान की स्लेट पर

किसे लिखूं खत

बताऊं

पिट्ठूगरम में कितनी बार जीती इस हफ्ते

अपनी गुड़िया के लिए मलमली गद्दे

अपने लिए गुलाबी फ्राक

बहन के लिए पिचकारी

सब मेरी फूलों की क्यारी से ही सरक कर आएंगे बाहर

बागडोर मेरे हाथ में

अपनी जिंदगी की, थिरकन की, मचलन की

रियासतें रियासतों से नहीं बनतीं

जहन में उकरते हैं उनके नक्शे

उसके तमाम चौबारे अंदर ही

फव्वारे भी

अंदर की रियासत बनाने वाले

सुख बोते हैं, सुख काटते हैं, सुख पाते हैं

No comments: