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Leads in Journalism: REP Notes

Dec 21, 2010

आज

 सूरज के गोले बनाकर

चांदी के फंदे डाल दिए

रात भर में बना डाला ऐसा स्वेटर

कि सुबह हुई

तो सूरज शरमा गया

 

गमों को हीरे के गिलास में डाला

एक सांस में गटका

सांस ठंडी हुई

फिर सामान्य

 

हिम्मत है अंधेरे की

कि रास्ते के दीए बुझाए

हम तो दीए हथेली पे लिए चले हैं

ऊर्जा मन में है

दीए बहाना हैं

 

अहा

इससे बेहतर तस्वीर क्या होगी जिंदगी की

पूछो तो इस नन्हे शावक से

यहां मुस्कुराहटें खुद चली आती हैं

खुशी का सबक लेने

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